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शांत रस के 10 उदाहरण:
शांत रस 10 examples:
- “मन रे तन कागद का पुतला” – कबीर
- “कबहुँक हौं यहि रहनि रहौंगौ” – तुलसीदास
- “मन पछितैहै अवसर बीते” – रहीम
- “तपस्वी! क्यों इतने हो क्लांत” – महादेवी वर्मा
- “मन रे!” – सूरदास
- “आजकल तेरी याद सताती है” – रामधारी सिंह दिनकर
- “यह कैसा सन्नाटा है” – जयशंकर प्रसाद
- “जब मैं था तब हरि नहीं” – अज्ञात
- “नहीं, नहीं अब मैं रोऊँगी नहीं” – सुमित्रानंदन पंत
- “धरती पर लुटेरा आकाश में लुटेरा” – भवानीप्रसाद मिश्र
- “एक बार फिर आँखें बंद कर” – गजानन माधव मुक्तिबोध
- “जिसके आने से जीवन में” – शिवमंगल सिंह सुमन
- “आँखों में नमी होठों पर मुस्कान” – रामनाथ ‘सुमन’
- “क्यों न रोऊँ मैं” – महावीर प्रसाद द्विवेदी
- “हे मानव! तू कब तक” – रामकृष्ण परमहंस
- शांत रस में भावनाओं का संयम और शांतिपूर्ण स्वीकृति होती है।
- शांत रस के उदाहरणों में प्रकृति का वर्णन, जीवन के प्रति आत्मविश्वास, और जीवन की क्षणभंगुरता का स्वीकार शामिल हो सकता है।
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