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प्रत्यय: परिभाषा, भेद और उदाहरण
प्रत्यय शब्द ‘प्रति’ और ‘अय’ से मिलकर बना है। ‘प्रति’ का अर्थ है ‘साथ में’ और ‘अय’ का अर्थ है ‘चलने वाला’। इसलिए, प्रत्यय का अर्थ है ‘साथ में चलने वाला’।
Pratyay ki Paribhasha | प्रत्यय – परिभाषा
प्रत्यय वे शब्दांश होते हैं जो किसी शब्द के अंत में जोड़े जाते हैं और उसके अर्थ में परिवर्तन लाते हैं।
Pratyay ke bhed | प्रत्ययों के मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं:
- तद्धित प्रत्यय: ये प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया आदि शब्दों के अंत में जोड़े जाते हैं और नए शब्द बनाते हैं।
- करण प्रत्यय: ये प्रत्यय क्रिया के अंत में जोड़े जाते हैं और क्रिया के रूप, काल, वचन, पुरुष आदि का बोध कराते हैं।
उदाहरण:
तद्धित प्रत्यय:
- आत्मजा: आत्म + जा (तद्धित प्रत्यय) = पुत्र
- छात्रा: छात्र + आ (तद्धित प्रत्यय) = स्त्रीलिंग
- मिठास: मिठा + आस (तद्धित प्रत्यय) = भाववाचक संज्ञा
- खट्टास: खट्टा + आस (तद्धित प्रत्यय) = भाववाचक संज्ञा
- अपनापन: अपना + पन (तद्धित प्रत्यय) = भाववाचक संज्ञा
- पागलपन: पागल + पन (तद्धित प्रत्यय) = भाववाचक संज्ञा
करण प्रत्यय:
- करता: करता + है (करण प्रत्यय) = वर्तमान काल, सकर्मक
- करती: करती + है (करण प्रत्यय) = वर्तमान काल, सकर्मक
- किया: किया + था (करण प्रत्यय) = भूतकाल, सकर्मक
- किएगा: करेगा (करण प्रत्यय) = भविष्यत् काल, सकर्मक
प्रत्ययों का प्रयोग भाषा को समृद्ध बनाने और विभिन्न प्रकार के अर्थों को व्यक्त करने के लिए किया जाता है।
यहाँ कुछ अन्य उदाहरण दिए गए हैं:
- बच्चा + पन = बचपन
- लड़का + पन = लड़कपन
- पुराना + ई = पुरानी
- नया + ई = नयी
- लिखना + वाला = लिखने वाला
- पढ़ना + वाला = पढ़ने वाला