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हास्य रस की परिभाषा और उदाहरण
हास्य रस की परिभाषा: हास्य रस वह रस है जो किसी व्यक्ति या पदार्थ की असाधारण आकृति, वेशभूषा, चेष्टा, वाणी आदि को देखकर हृदय में विनोद का भाव उत्पन्न करता है। इसे सरल शब्दों में कहें तो हंसी पैदा करने वाला रस ही हास्य रस है।
उदाहरण:
- आत्मस्थ हास्य रस:
- एक व्यक्ति अपनी पत्नी से कहता है, “तुम्हारी तुलना में तो चाँद भी फीका है।”
- एक छोटा बच्चा अपनी माँ से पूछता है, “माँ, पापा का सिर गंजा क्यों है?”
- परस्थ हास्य रस:
- एक व्यक्ति गलती से फिसलकर नदी में गिर जाता है।
- एक आदमी धोती पहने हुए साइकिल चला रहा है।
हास्य रस के अन्य उदाहरण:
- शब्दों का खेल:
“बातें मीठी-मीठी, मन में छलिया, ऐसे होते हैं अक्सर मित्रों के भाई।”
- व्यंग्य:
“आजकल तो बड़ों का आदर करना भी फैशन हो गया है।”
- अतिशयोक्ति:
“उसकी आवाज इतनी तेज थी कि कांच के टुकड़े भी टूट गए।”
हास्य रस के गुण:
- हास्य रस में विनोद और मनोरंजन का भाव होता है।
- यह रस हमें जीवन के कठिनाइयों को हंसी-मजाक में उड़ाने में मदद करता है।
- हास्य रस सामाजिक बुराइयों पर व्यंग्य करने का भी एक प्रभावी माध्यम है।
हास्य रस हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह हमें खुशी और मनोरंजन प्रदान करता है, साथ ही सामाजिक बुराइयों पर भी प्रकाश डालता है।
अतिरिक्त:
- हास्य रस के देवता प्रमथ हैं।
- हास्य रस के स्थायी भाव हास है।