Bio savart ka niyam kya hai | बायो सेवर्ट का नियम
बायो-सेवर्ट का नियम एक भौतिकी का नियम है जो किसी धारावाही तार द्वारा चुंबकीय क्षेत्र का वर्णन करता है। यह नियम बताता है कि किसी धारावाही तार के किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र तार की धारा, बिंदु की दूरी और तार के खंड की दिशा पर निर्भर करता है।
बायो-सेवर्ट का नियम इस प्रकार लिखा जा सकता है:
B = μ₀/4π * ∫(Idl × r̂)/r²
जहाँ:
- B बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र है।
- μ₀ निर्वात की पारगम्यता है।
- I तार में प्रवाहित धारा है।
- dl तार का एक छोटा सा खंड है।
- r̂ बिंदु से तार के खंड तक की इकाई वेक्टर है।
- r बिंदु से तार के खंड की दूरी है।
बायो-सेवर्ट का नियम का उपयोग विभिन्न प्रकार की समस्याओं को हल करने के लिए किया जा सकता है, जैसे कि:
- किसी धारावाही तार द्वारा चुंबकीय क्षेत्र की गणना करना।
- किसी चुंबकीय क्षेत्र में किसी धारावाही तार पर लगने वाले बल की गणना करना।
- किसी चुंबकीय क्षेत्र में किसी धारावाही लूप पर लगने वाले बल की गणना करना।
बायो-सेवर्ट का नियम एक महत्वपूर्ण भौतिकी का नियम है जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार की स्थितियों में चुंबकीय क्षेत्रों का अध्ययन करने के लिए किया जा सकता है।
बायो-सेवर्ट का नियम का एक चित्रण यहां दिया गया है:
इस चित्र में, एक धारावाही तार और बिंदु P पर चुंबकीय क्षेत्र B दिखाया गया है। बिंदु P से तार के खंड तक की इकाई वेक्टर r̂ है। बिंदु P से तार के खंड की दूरी r है।
बायो-सेवर्ट का नियम के कुछ अनुप्रयोग यहां दिए गए हैं:
- विद्युत चुम्बकों का निर्माण
- विद्युत मोटरों का निर्माण
- जनरेटर का निर्माण
- चुंबकीय मापन
बायो-सेवर्ट का नियम एक महत्वपूर्ण भौतिकी का नियम है जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार की स्थितियों में चुंबकीय क्षेत्रों का अध्ययन करने और विभिन्न प्रकार के उपकरणों को बनाने के लिए किया जाता है।