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Veer ras ki paribhasha | वीर रस की परिभाषा, उदाहरण
वीर रस की परिभाषा उदाहरण सहित
वीर रस नौ रसों में से एक रस है। वीर रस का स्थायी भाव उत्साह होता है। जब वीरता, शौर्य, पराक्रम, और साहस का वर्णन किया जाता है, तब वीर रस उत्पन्न होता है। वीर रस में युद्ध, वीरता, त्याग, बलिदान, और देशभक्ति के भावों का चित्रण होता है।
वीर रस के कुछ प्रमुख अंग हैं:
- आलंबन: वीर रस का आलंबन वीर पुरुष या वीर स्त्री होती है।
- उद्दीपन: वीर रस का उद्दीपन युद्ध, शत्रु, पराक्रम, और साहस होता है।
- अनुभाव: वीर रस के अनुभाव उत्साह, गर्व, रोमांच, और धृति होते हैं।
- संयोजक: वीर रस के संयोजक वीरता, पराक्रम, और साहस के गुण होते हैं।
- स्थायी भाव: वीर रस का स्थायी भाव उत्साह होता है।
वीर रस के उदाहरण
- रामायण: रामायण में राम द्वारा रावण का वध वीर रस का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
- महाभारत: महाभारत में अर्जुन द्वारा कुरुक्षेत्र युद्ध में वीरता का प्रदर्शन वीर रस का एक और उत्कृष्ट उदाहरण है।
- वीर रस की कविताएँ: वीर रस की कुछ प्रसिद्ध कविताएँ हैं ‘झाँसी की रानी’ (सुभद्रा कुमारी चौहान), ‘बुंदेले हरबोलो के मुँह हमने सुनी कहानी थी’ (रामधारी सिंह दिनकर), और ‘राणा प्रताप की तलवार’ (श्यामनारायण पाण्डेय)।
वीर रस काव्य में वीरता, पराक्रम, और साहस के भावों को उजागर करता है। यह पाठक को प्रेरित करता है और उसे देशभक्ति, त्याग, और बलिदान के लिए प्रेरित करता है।