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श्रृंगार रस के 15 उदाहरण
1. रामायण से:
- राम और सीता का मिलन: राम और सीता का मिलन श्रृंगार रस का अत्यंत सुंदर उदाहरण है।
- सीता का स्वयंवर: सीता स्वयंवर में राम का तीर चलाना और सीता का वरण करना भी श्रृंगार रस का उदाहरण है।
2. महाभारत से:
- अभिमन्यु और सुभद्रा का प्रेम: अभिमन्यु और सुभद्रा का प्रेम श्रृंगार रस का एक मधुर उदाहरण है।
- शकुंतला और दुष्यंत का मिलन: शकुंतला और दुष्यंत का मिलन भी श्रृंगार रस का सुंदर उदाहरण है।
3. गोस्वामी तुलसीदास जी की रचना से:
- रामचरितमानस में राम और सीता के प्रेम का वर्णन: रामचरितमानस में राम और सीता के प्रेम का वर्णन श्रृंगार रस का उत्कृष्ट उदाहरण है।
4. सूरदास जी की रचना से:
- भ्रमरगीत: सूरदास जी का भ्रमरगीत श्रृंगार रस का एक सुंदर उदाहरण है।
- कृष्ण और राधा का प्रेम: सूरदास जी की रचनाओं में कृष्ण और राधा के प्रेम का वर्णन भी श्रृंगार रस का उदाहरण है।
5. कबीरदास जी की रचना से:
- “प्रेम गली अति सांकीरे। जहाँ दो ही चलै।”
6. रहीमदास जी की रचना से:
- “प्रेम नहिं तोहिं कछु नहीं। जो कुछ है सो प्रेम है।”
7. बिहारीलाल जी की रचना से:
- “नैन न भरे मोहन के मारे। मोहन नैन न भरे।”
8. अमीर खुसरो जी की रचना से:
- “तेरे बिन सूना सूना लगता है। जीया मेरा।”
9. मलिक मुहम्मद जायसी जी की रचना से:
- “प्रेम तो दरद है। दाग़ है। आग है। प्यास है।”
10. रवींद्रनाथ टैगोर की रचना से:
- “गीतांजलि”
11. जयशंकर प्रसाद की रचना से:
- “कामायनी”
12. सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” की रचना से:
- “मधुशाला”
13. रामधारी सिंह दिनकर की रचना से:
- “उर्वशी”
14. महादेवी वर्मा की रचना से:
- “नीहार”
15. कुँवर नारायण की रचना से:
- “आत्मजयी”
ये श्रृंगार रस के कुछ उदाहरण हैं। श्रृंगार रस में प्रेम, सौंदर्य, और भावनाओं का वर्णन होता है। यह रस हमें जीवन के सुंदर पक्षों से अवगत कराता है।