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रस सिद्धान्त क्या है: Ras Siddhant in Hindi


रस सिद्धान्त:

रस सिद्धान्त, संस्कृत साहित्यिक आलोचना का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है। यह सिद्धांत काव्य के सार को रस में परिभाषित करता है। रस का अर्थ है आनंद या स्वाद। रस सिद्धांत के अनुसार, काव्य का उद्देश्य पाठक या दर्शक को रस प्रदान करना है।

इसे महाकवि भारत मुनि ने पहले प्रस्तुत किया था। रस सिद्धांत के अनुसार, साहित्य में रस नामक भाव होते हैं, जिन्हें अग्रणी कवि के साहित्य द्वारा दर्शाया जाता है। रस सिद्धांत के अनुसार, रस के अलावा उसके संयोजक भाव और विभाव भी होते हैं जो रस के अनुभव में सहायक होते हैं। इस सिद्धांत के अनुसार, सही रस का अनुभव करने से व्यक्ति का मन शांति और संतुष्टि का अनुभव करता है। इसलिए, रस सिद्धांत साहित्य के रसिक और रसायन की महत्वपूर्ण समझ का प्रतीक है।

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