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भक्ति काल की दो विशिष्ट | Bhakti kaal ki do visheshta
भक्ति काल की दो विशिष्ट विशेषताएं:
1. भक्ति भावना: भक्ति काल की सबसे विशिष्ट विशेषता भक्ति भावना है। इस काल के कवियों ने ईश्वर के प्रति अगाध भक्ति और प्रेम व्यक्त किया है।
2. सरल भाषा: भक्ति काल की दूसरी विशिष्ट विशेषता सरल भाषा है। इस काल के कवियों ने अपनी रचनाओं में सरल और सहज भाषा का प्रयोग किया है ताकि आम जनता भी उन्हें समझ सके।
भक्ति काल की अन्य विशेषताएं:
- निर्गुण और सगुण भक्ति: भक्ति काल में दो प्रकार की भक्ति प्रचलित थी: निर्गुण भक्ति और सगुण भक्ति। निर्गुण भक्ति में ईश्वर को निराकार और निर्गुण माना जाता है, जबकि सगुण भक्ति में ईश्वर को साकार और सगुण माना जाता है।
- भक्ति आंदोलन: भक्ति काल में भक्ति आंदोलन का भी उदय हुआ। इस आंदोलन के प्रमुख संतों में कबीर, रविदास, मीराबाई, तुकाराम, आदि शामिल हैं।
- समाज सुधार: भक्ति काल के कवियों और संतों ने समाज सुधार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने जाति-पांति, ऊंच-नीच, और अन्य सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई।
- साहित्यिक योगदान: भक्ति काल के कवियों ने हिंदी साहित्य को अनेक महत्वपूर्ण रचनाएं दीं। इन रचनाओं में रामचरितमानस, कृष्णलीला, भजन, पद, आदि शामिल हैं।