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रूपक अलंकार: परिभाषा, उदाहरण, अर्थ
रूपक अलंकार अर्थालंकारों में से एक महत्वपूर्ण अलंकार है। यह अलंकार तब बनता है जब उपमेय और उपमान में भेद मिटाकर उन्हें एक समान मान लिया जाता है।
रूपक अलंकार की परिभाषा:
रूपक अलंकार में उपमेय और उपमान में अभेद (sameness) प्रतीत होता है। उपमान को उपमेय का रूप (form) मान लिया जाता है।
रूपक अलंकार के उदाहरण:
- “आँखें हैं तेरी दो नयन सुंदर, जिनके आगे स्याही फीकी पड़ जाए।”
इस उदाहरण में, उपमेय (आँखें) और उपमान (नयन सुंदर) में भेद मिटाकर उन्हें एक समान मान लिया गया है।
- “तेरा मुख चाँद सा है।”
यहाँ भी, उपमेय (मुख) और उपमान (चाँद) में भेद मिटाकर उन्हें समान माना गया है।
रूपक अलंकार के प्रकार:
रूपक अलंकार के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं:
- श्रुति रूपक: जब उपमेय और उपमान को समान रूप से दर्शाया जाता है।
- लक्ष्य रूपक: जब उपमेय और उपमान को समान रूप से दर्शाया जाता है, लेकिन उपमान शब्द का प्रयोग नहीं किया जाता है।
रूपक अलंकार का महत्व:
रूपक अलंकार भाषा को प्रभावशाली और रोचक बनाता है। यह भावों को व्यक्त करने और पाठक/श्रोता के मन में चित्र बनाने में सहायक होता है।