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हिंदी पद्य साहित्य को कितने भागों में बांटा गया है?
हिंदी पद्य साहित्य को मुख्य रूप से चार भागों में बांटा गया है:
1. आदिकाल (7वीं शताब्दी से 12वीं शताब्दी)
- इस काल में अपभ्रंश भाषा का प्रभाव था।
- प्रमुख रचनाएं: ‘पृथ्वीराज रासो’, ‘वीरगाथाएं’, ‘धार्मिक रचनाएं’
- प्रमुख कवि: चंदबरदाई, विद्यापति, जयशंकर प्रसाद
2. भक्तिकाल (12वीं शताब्दी से 17वीं शताब्दी)
- इस काल में भक्ति भावना का प्रसार हुआ।
- प्रमुख रचनाएं: ‘रामायण’, ‘महाभारत’, ‘गीत गोविंद’, ‘भक्ति गीत’
- प्रमुख कवि: तुलसीदास, सूरदास, मीराबाई, कबीर, नानक
3. रीतिकाल (17वीं शताब्दी से 18वीं शताब्दी)
- इस काल में अलंकारिकता और भाषा-चातुर्य पर अधिक ध्यान दिया गया।
- प्रमुख रचनाएं: ‘रसिकप्रिया’, ‘बिहारी सतसई’, ‘केशवदास की रचनाएं’
- प्रमुख कवि: बिहारी, केशवदास, भूषण, मतिराम
4. आधुनिक काल (18वीं शताब्दी से 20वीं शताब्दी)
- इस काल में विभिन्न साहित्यिक धाराओं का उदय हुआ, जैसे छायावाद, प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नई कविता, नवगीत आदि।
- प्रमुख रचनाएं: ‘कामायनी’, ‘मधुशाला’, ‘आत्मकथा’, ‘गीतिका’
- प्रमुख कवि: जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह दिनकर, मुक्तिबोध
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह केवल एक सामान्य वर्गीकरण है। हिंदी पद्य साहित्य में अनेक उप-धाराएं और कालखंड भी हैं।
कुछ अन्य महत्वपूर्ण कालखंड:
- वीरगाथा काल (10वीं शताब्दी से 12वीं शताब्दी)
- सूफी काव्य काल (12वीं शताब्दी से 17वीं शताब्दी)
- रीति-मुक्त काव्य काल (17वीं शताब्दी से 18वीं शताब्दी)
- छायावादी काल (1918 से 1936)
- प्रगतिवादी काल (1936 से 1960)
- प्रयोगवादी काल (1943 से 1960)
- नई कविता काल (1960 से 1980)
- नवगीत काल (1960 से 1980)
यह भी ध्यान रखें कि कुछ रचनाएं एक से अधिक कालखंडों में वर्गीकृत की जा सकती हैं।
उदाहरण के लिए, तुलसीदास की ‘रामचरितमानस’ भक्तिकाल और रीतिकाल दोनों में वर्गीकृत की जा सकती है।