रस – परिभाषा, भेद, अंग और उदाहरण: Ras ki Paribhasha Udaharan Sahit
रस काव्य का आत्मा है। यह वह भाव है जो कविता या नाटक के पात्रों के माध्यम से व्यक्त होता है और पाठक या दर्शक के मन में अनुभूति पैदा करता है। रस के बिना कविता या नाटक नीरस और प्रभावहीन होता है।रस की परिभाषा:रस का शाब्दिक अर्थ है ‘स्वाद’ या ‘आनंद’। काव्य में रस … Continue reading रस – परिभाषा, भेद, अंग और उदाहरण: Ras ki Paribhasha Udaharan Sahit
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